के कारनामे और शहादत हज़रत उस्मान रजि. ने अपनी खिलाफत के दौरान बहुत से कारहाए नूमायां अंजाम दिए जिसमें पूरी उम्मत को एक नुस्खा कुरआन पर जमा करना मस्जिद नब्बी और जन्नतुलबक्री के हिस्सों को वसी और कुशादा करना और इस्लामी मुमालिक की हदों को बढ़ानाउन के अहेम कारनामे हैं. वह इस्लाम और मुसलमानों की खिदमात अंजाम देने में मुनीक ही थे के मुनाफिकों ने साजिश करके मुसलमानों को अंदरुनी और वैरुनी फित्नों मेंमुब्तला कर दिया. उन तमाम फिलों को फैलाने में अब्दुल्लाह बिन सबा नामी यहूदी पेश पेशथा, वह जाहीरी तौर पर मुसलमान हुवा था उसे इस्लाम मुसलमानों और खास तौर से हरन उस्मान गणी रजि. से बुग्ज व अदावत थी मुसलमानों में आपसी इस्तेलाफ पैदा करने के लि उसने कुफा, बसरा, दमिश्क और मिस्र का सफर करके एक बड़ी जमाअत को अपना हम खयाल बना लिया, उसने मित्र वगैराह के इलाकों के बहुत से अपने हमनवाओं को मदीनाभेजा, जिनमें अक्सर मुनाफिकीन थे. सीधे साधे मुसलमानों को बहकाकर अपने साथ करलिया, ये लोग उस वक्त मदीना पहुंचे जब अक्सर सहाबा हज के लिए मक्का गए हुए थे. उले मदीना में हज़रत उस्मान गणी ज़ि. के घर का महसरा कर लिया और उन का खाना पनी बंद कर दिया. आखिर १८ जिलहिज्जा ३५ हि. जुमा के दिन कुरआन की तिलावत करते हुए हज़रत उस्मान रजि. को शहीद कर दिया गया.
इस्लामी तारीख हज़रत उस्मान गनी रज़ि. के कारनामे और शहादत
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